1. महाकुंभ 2025 में महिलाओं का बढ़ता भागीदारी
महाकुंभ 2025 एक विशेष मोड़ पर पहुंच चुका है जहां महिलाएं अधिक संख्या में संन्यास लेने के लिए तैयार हैं। इस बार महाकुंभ में संन्यास लेने वाली महिलाओं की संख्या 1000 से अधिक होने की संभावना है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक बनेगा बल्कि नारी सशक्तीकरण का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण होगा।
2. जूना अखाड़ा में महिलाओं की संन्यास दीक्षा
जूना अखाड़ा, जो महिला सशक्तीकरण में सबसे आगे है, इस बार 200 से अधिक महिलाओं को संन्यास दीक्षा देने की योजना बना रहा है। दिव्या गिरी, जो एक प्रमुख महिला संत हैं, ने इस बार की दीक्षा में महिलाओं की भागीदारी पर खुशी व्यक्त की। जूना अखाड़े ने महिला संतों को एक नई पहचान देने के लिए ‘दशनाम संन्यासिनी श्री पंचदशनाम जूना’ नाम का संगठन भी स्थापित किया है।
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3. उच्च शिक्षित महिलाओं का संन्यास की ओर रुझान
महाकुंभ में संन्यास लेने के लिए उच्च शिक्षित महिलाओं का रुझान भी बढ़ा है। गुजरात के राजकोट की राधेनंद भारती, जो संस्कृत में पीएचडी कर रही हैं, महाकुंभ में संन्यास दीक्षा लेंगी। राधेनंद ने अपने घर और व्यवसायिक जीवन को छोड़कर पिछले 12 वर्षों से गुरु की सेवा में समर्पण किया है।
4. आध्यात्मिकता और सांसारिकता से मोहभंग

महिलाओं के संन्यास लेने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें आध्यात्मिक अनुभूति, सांसारिकता से मोहभंग और परिवार में किसी दुर्घटना के बाद वैराग्य प्रमुख हैं। इस बार महाकुंभ में उच्च शिक्षित महिलाएं विशेष रूप से दीक्षा प्राप्त करने के लिए आ रही हैं, जो इस घटना को और भी खास बना रही है।
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5. नारी शक्ति का प्रतीक बनता महाकुंभ
महाकुंभ 2025 सिर्फ आध्यात्मिकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह नारी शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। महिला संतों की बढ़ती संख्या और उनकी भूमिका इस आयोजन को एक नई दिशा देंगे। जूना अखाड़े की महिला संतों का यह कदम नारी सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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6. महिला संतों के शिविर का नामकरण
जूना अखाड़े ने महिला संतों के संगठन को ‘दशनाम संन्यासिनी श्री पंचदशनाम जूना’ नाम देने का फैसला लिया है। यह नाम महिला संतों की आवाज और पहचान को और मजबूत करेगा। महाकुंभ में इस शिविर को स्थापित किया जाएगा, जो महिला संतों को उनके योगदान का उचित सम्मान देगा।
7. महाकुंभ में संन्यास की प्रक्रिया तेज
महाकुंभ 2025 के लिए संन्यास की प्रक्रिया जोरों पर है, और महिलाओं की दीक्षा में तेज़ी आ रही है। यह बदलाव महाकुंभ को एक नई दिशा देने के साथ-साथ नारी सशक्तीकरण की ओर भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
8. आध्यात्मिकता और नारी सशक्तीकरण का संगम
महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता और नारी सशक्तीकरण का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना रही है, और यह नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।
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