150 महिलाएं बनीं नागा संन्यासी | 150 Womens Become Naga Mahakumbh 2025 Update
महाकुंभ 2025 के शुभ अवसर पर भारतीय आध्यात्मिकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला, जब 150 महिलाओं ने नागा संन्यास ग्रहण किया। इनमें दो विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने सनातन धर्म को अपनाकर संन्यासी जीवन में प्रवेश किया।
विदेशी महिलाओं का सन्यास की ओर रुझान
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फ्रांस की मरियम और इटली की अंकिया ने महाकुंभ में जूना अखाड़ा द्वारा पारंपरिक विधि से संन्यास की दीक्षा ली। दीक्षा प्रक्रिया के अंतर्गत गंगा स्नान, मुंडन, और पिंडदान के बाद उन्हें नए नाम और भगवा वस्त्र प्रदान किए गए। मरियम को ‘कामाख्या गिरि,’ अंकिया को ‘शिवानी भारती,’ और नेपाल की मौक्षिता राय को ‘मोक्षता गिरि’ नाम दिया गया।
सनातन धर्म की ओर आकर्षण
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इन महिलाओं ने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर योग और वेदों के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है। कामाख्या गिरि ने बताया कि भारत यात्रा के दौरान उन्हें वैदिक ज्ञान से गहरा लगाव हुआ और महाकुंभ को संन्यास के लिए उपयुक्त स्थान माना।
संन्यास से मिली आध्यात्मिक संतुष्टि
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शिवानी भारती का कहना है कि संन्यास के बाद उन्हें जीवन में आंतरिक शांति मिली है और अब वे योग और सनातन धर्म के प्रचार में जुटेंगी। ये संन्यासिनियां गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाकर सनातन संस्कृति को विस्तारित करेंगी।
महाकुंभ का वैश्विक प्रभाव
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महाकुंभ में विदेशी महिलाओं की भागीदारी भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाती है। यह आयोजन अब पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित कर रहा है।
संन्यास ग्रहण करने की प्रक्रिया
संन्यास लेने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन और अनुशासनपूर्ण होती है। पहले चरण में, संन्यास की इच्छा रखने वाले लोग अपने गुरु से दीक्षा लेते हैं। इसके बाद वे गंगा स्नान, मुंडन और यज्ञ जैसी धार्मिक प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं। अंतिम चरण में उन्हें भगवा वस्त्र धारण कर सांसारिक जीवन से पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया जाता है।
महिलाओं की भूमिका और योगदान
संन्यास ग्रहण करने वाली महिलाएं अब विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में योगदान देंगी। वे योग शिविरों का आयोजन करेंगी, वेदों का अध्ययन करेंगी और समाज को आध्यात्मिक दिशा प्रदान करेंगी। उनका यह निर्णय भारतीय संस्कृति की समृद्धता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है।
महाकुंभ की विशेषता
महाकुंभ, जो हर 12 वर्ष में आयोजित होता है, विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है। यह आयोजन सनातन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करता है और लोगों को धर्म और आस्था के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
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